Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

अपना इरादा पक्का बना लो बस

अपना इरादा पक्का बना लो बस    --ऋषि प्रसाद- अंक-262

- पूज्य बापूजी

आप सदैव शुभ संकल्प करो, मंगलकारी संकल्प करो, विधेयात्मक संकल्प करो, सुखद संकल्प करो । तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु । हमारा संकल्प शिव-संकल्प हो अर्थात् मंगलकारी संकल्प हो ।

परिस्थितियाँ कैसी भी हों, प्रतिकूल हों चाहे अनुकूल हों, उनमें डूबो मत, उनका उपयोग करो ।

यह तो प्रसिद्ध कहावत है कि ‘‘रोते-रोते क्या है जीना,

नाचो दुःख में तान के सीना ।...

रात अँधियारी हो, घिरी घटाएँ काली हों ।

रास्ता सुनसान हो, आँधी और तूफान हों ।

मंजिल तेरी दूर हो, पाँव तेरे मजबूर हों ।

तो क्या करोगे ? डर जाओगे ?”

‘‘ना...”

‘‘रुक जाओगे ?”

‘‘ना...”

‘‘तो क्या करोगे ?”

‘‘बम बम ॐ ॐ, हर हर ॐ ॐ, हर हर ॐ ॐ...”

शिव-संकल्प कौन-सा करें ?

‘वकील बनना है, डॉक्टर बनना है, मंत्री बनना है, प्रधानमंत्री बनना है, फलाना बनना है...’- ये बहुत छोटे संकल्प हैं । ‘सारी सृष्टि का जो आधार है, उस आत्मा-परमात्मा को मुझे जानना है ।’ बस, तो प्रधानमंत्री का पद भी तुम्हारे उस परमेश्वरप्राप्ति के संकल्प के आगे नन्हा हो जायेगा । एक बार आप ठीक से सोच लो कि ‘बस, मुझे यह करना है । कुछ भी हो मुझे अपने ईश्वरत्व को जानना है, आत्मा-परमात्मा को जानना है एवं अपने प्यारे के आनंद, ज्ञान, माधुर्य, सान्निध्य का अनुभव करना है ।’ प्रधानमंत्री होने में अपनी तरफ से ही बल लगेगा, लोगों का सहयोग लेना पड़ेगा लेकिन परमात्मा की प्राप्ति में लोगों के सहयोग की जरूरत नहीं पड़ेगी । अपने बल पर भी इतनी कोई मेहनत नहीं है । केवल इरादा बन जाय उसे पाने का बस ! फिर जितनी सच्चाई से उस रास्ते चलोगे उतना वह अंतर्यामी परमात्मा मार्गदर्शन और सहयोग देता जायेगा । ऐसा ही तो हुआ । हम कोई अपने बल पर ईश्वर तक पहुँचे हैं क्या ? नहीं । ‘ईश्वर को ही पाना है’- इस पक्के इरादे से ईश्वर को खिंचकर आना पड़ा ।

शिव-संकल्प शक्ति विकसित करने का उपाय

परमात्मप्राप्ति की तड़प अभी तुरंत नहीं भी ब‹ढा सको तो कम-से-कम परमात्मा के नाम का जप चालू करो । सुबह नींद में से उठे फिर ‘हरि ॐ... ॐ... ॐ आनंद... ॐ... ॐ... ॐ आरोग्य...’ - ऐसा कुछ समय जप किया फिर दातुन-स्नान आदि करके दीया जलाकर १० मिनट ऐसा जप करो । शुभ संकल्प करो । थोड़ा ‘जीवन रसायन’ पुस्तक पढ़ो, थोड़ा ‘ईश्वर की ओर’ पढ़ो और उसीका चिंतन करो । फिर ५ मिनट मन से जप करो, फिर ४-५ मिनट वाणी से करो अथवा २ मिनट वाणी से, ३ मिनट मन से - ऐसा आधा घंटा रोज करो । फिर त्रिबंध करके १० प्राणायाम करो, देखो कैसा लाभ होता है ! पूरा स्वभाव और आदतें बदल जायेंगी । लेकिन ३ दिन किया फिर ५ दिन छुट्टी कर दी तो फिर भाई कैसे चलेगा ! साधना में सातत्य चाहिए । ईश्वरप्राप्ति के रास्ते चलते हैं तो ईश्वर से दूर ले जानेवाले साधना-विरोधी कर्म छोड़ दें । हम लोग थो‹डी साधना करते हैं फिर थोड़ा विपरीत करते हैं फिर जरा साधना करते हैं... ऐसे गड़बड़-घोटाला हो जाता है, सातत्य चाहिए । सतत लगा रहे तो ६ महीने में तो योगी का योग सिद्ध हो जाय, १२ महीने में तो जापक का जप सिद्ध हो जाय, ईश्वरप्राप्ति हो जाय । १२ महीने में कोई एम.डी. नहीं होता है, एम.ए. या एम.बी.बी.एस. नहीं होता है लेकिन एम.बी.बी.एस. वाले मत्था टेककर अपना भाग्य बना लें ऐसा साक्षात्कार कर सकता है । बोले, ‘मैं कान का विशेषज्ञ हूँ, मैं दाँत का विशेषज्ञ हूँ...’ फिर भी इसमें भी कहीं कुछ बाकी रह जाता है लेकिन उस परमेश्वर-तत्त्व को जानो तो एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय । अतः सब करो लेकिन एक के लिए पूरा संकल्प करो कि ‘ईश्वर को पाना है, बस ! ॐ ॐ ॐ...’