Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

शीत ऋतु में बलसंवर्धन के उपाय

शीत ॠतु के 4 माह बलसंवर्धन का काल है । इस ऋतु में सेवन किये हुए खाद्य पदार्थों से पूरे वर्ष के लिए शरीर की स्वास्थ्य-रक्षा एवं बल का भंडार एकत्र होता है । अतः पौष्टिक खुराक के साथ आश्रम के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध खजूर, सौभाग्य शुंठी पाक, अश्वगंधा पाक, बल्य रसायन, च्यवनप्राश, पुष्टि टेबलेट आदि बल व पुष्टि वर्धक पाक व औषधियों का उपयोग कर शरीर को हृष्ट-पुष्ट व बलवान बना सकते हैं ।

साथ ही निम्नलिखित बातों को भी ध्यान में रखना जरूरी है :

(1) पाचनशक्ति को अच्छा तथा पेट व दिमाग साफ रखना : आहार-विचार अच्छा हो और अति करने की बुरी आदत न हो । जितना पच सके उतनी ही मात्रा में पौष्टिक पदार्थों का सेवन करें । एक गिलास पानी में दो चम्मच नींबू-रस व एक चम्मच अदरक का रस डाल के भोजन से आधा-एक घंटे पहले पीने से जठराग्नि प्रदीप्त होती है, भूख खुलकर लगती है । इसमें 1 चम्मच पुदीने का रस भी मिला सकते हैं । स्वाद के लिए थोड़ा-सा पुराना गुड़ डाल सकते हैं । शक्तिहीनता पैदा करनेवाले कर्मों (शक्ति से ज्यादा परिश्रम या व्यायाम करना, अधिक भूख सहना, स्त्री-सहवास आदि) से बचना जरूरी है । चाहे कितने भी पौष्टिक पदार्थ खायें लेकिन संयम न रखा जाय तो कुछ भी हाथ नहीं लगेगा । प्रयत्नपूर्वक सत्संग व सत्शास्त्रों के ज्ञान का चिंतन-मनन करें तथा सत्कार्यों में व्यस्त रहें । इससे मन हीन व कामुक विचारों से मुक्त रहेगा, वीर्य का संचय होगा, शरीर मजबूत बनेगा जिससे हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी ।

(2) आहार-विहार में लापरवाही न करना : अधिक उपवास करना, रूखा-सूखा आहार लेना आदि से बचें ।

(3) नियमित तेल-मालिश व व्यायाम : सूर्यस्नान, शुद्ध वायुसेवन हेतु भ्रमण, शरीर की तेल-मालिश व योगासन आदि नियमित करें ।

शीत ऋतु हेतु बलसंवर्धक प्रयोग

* सिंघाड़े का आटा 20 ग्राम या गेहूँ का रवा (थोड़ा दरदरा आटा) 30 ग्राम लेकर उसमें 5 ग्राम कौंच-चूर्ण मिला के घी में सेंकें । फिर उसमें दूध-मिश्री मिला के दो-तीन उबाल आने के बाद लें । रोज प्रातः यह बलवर्धक प्रयोग करें ।

* 250-500 मि.ली. दूध में 2.5-5 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण तथा 125 मि.ली. पानी डालकर उबालें तथा पानी वाष्पीभूत हो जाने पर उतार लें । इसमें मिश्री डाल के प्रातःकाल पीने से दुबलापन दूर होता है और शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है । अगर पचा सकें तो इसमें एक चम्मच शुद्ध घी डालना सोने पर सुहागा जैसा काम हो जायेगा ।

* तरबूज के बीजों की गिरी तथा समभाग मिश्री कूट-पीसकर शीशी में भर लें । 10-10 ग्राम मिश्रण सुबह-शाम चबा-चबाकर खायें । 3 महीने लगातार सेवन करने पर शरीर पुष्ट, सुगठित, सुडौल और सशक्त बनता है ।

* 50 ग्राम सिंघाड़े के आटे को शुद्ध घी में भूनकर हलवा बना के प्रतिदिन सुबह नाश्ते में 60 दिन तक सेवन करें । आधे-एक घंटे बाद गर्म पानी पियें ।

* दो खजूर लेकर गुठली निकाल के उनमें शुद्ध घी व एक-एक काली मिर्च भरें । इन्हें गुनगुने दूध के साथ एक महीने तक नियमित लें । इससे शरीर पुष्ट व बलवान बनेगा, शक्ति का संचार होगा ।

* 5 खजूर को अच्छी तरह धोकर गुठलियाँ निकाल लें । 350 ग्राम दूध के साथ इनका  नियमित सेवन करने से शरीर शक्तिशाली एवं मांसपेशियाँ मजबूत होंगी तथा वीर्य गाढ़ा होगा व शुक्राणुओं में वृद्धि होगी ।