Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

छोटी पर निरोगता के लिए जरूरी बातें

* शक्कर की बनी मिठाइयाँ, चाय, कॉफी, अति खट्टे फल, अति तीखे, अति नमकयुक्त तथा उष्ण-तीक्ष्ण व नशीले पदार्थों के सेवन से वीर्य में दोष आ जाते हैं ।

* प्रातः उठते ही 6 अंजलि जल पियो । सूर्यास्त तक 2 से ढाई लीटर जल अवश्य पी जाओ । गर्मियों में व जब शरीर से श्रम करो, तब इससे अधिक जल की आवश्यकता होती है ।

* जिन सब्जियों का छिलका बहुत कड़ा न हो, जैसे गिल्की, परवल, टिंडा आदि, उन्हें छिलकेसहित खाना अत्यंत लाभकारी है । जिन फलों के छिलके खा सकते हैं, जैसे सेवफल, चीकू आदि, उन्हें खूब अच्छी तरह धो के छिलकों के साथ ही खाना चाहिए । दाल भी छिलकेसहित खानी चाहिए । चोकर तथा छिलके में पोषक तत्त्व होते हैं और इनसे पेट साफ रहता है । सब्जी, फल आदि धोने के बाद कीटनाशक आदि रसायनों का अंश छिलकों पर न बचा हो इसका ध्यान रखें, अन्यथा नुकसान होगा । सेवफल को चाकू से हलका-सा रगड़कर उस पर लगी मोम उतार लेनी चाहिए ।

* घी-तेल में तले हुए पकवानों का कभी-कभी ही सेवन करना चाहिए । नित्य या प्रायः तली हुई पूड़ी-पकवान, पकौड़े, नमकीन खाने से कुछ दिनों में पेट में कब्ज रहने लगेगा, अनेक बीमारियाँ बढ़ेंगी ।

* खटाई में नींबू व आँवले का सेवन उत्तम है । कोकम व अनारदाने का उपयोग अल्प मात्रा में कर सकते हैं । अमचूर हानिकारक है ।

* भोजन इतना चबाना चाहिए कि गले के नीचे पानी की तरह पतला हो के उतरे । ऐसा करने से दाँतों का काम आँतों को नहीं करना पड़ता । इसके लिए बार-बार सावधान रहकर खूब चबा के खाने की आदत बनानी पड़ती है ।

* अच्छी भूख लगने पर ही भोजन करें, बिना भूख का भोजन विकार पैदा करता है ।

* भोजन के बाद स्नान नहीं करना चाहिए । अधिक यात्रा के बाद तुरंत स्नान करने से शरीर अस्वस्थ हो जाता है । थोड़ी देर आराम करके स्नान कर सकते हैं ।

बदन-दर्द के सचोट उपाय

(1) 25-30 मि.ली. सरसों के तेल में लहसुन की छिली हुई चार कलियाँ व आधा चम्मच अजवायन डाल के धीमी आँच पर पकायें । लहसुन और अजवायन काली पड़ने पर तेल उतार लें, थोड़ा ठंडा होने पर छान लें । इस गुनगुने तेल की मालिश करने से वायु-प्रकोप से होनेवाले बदन-दर्द में राहत मिलती है ।

(2) 100 ग्राम सरसों के तेल में 5 ग्राम कपूर डालें और शीशी को बंद करके धूप में रख दें । तेल में कपूर अच्छी तरह से घुलने पर इसका उपयोग कर सकते हैं । इसकी मालिश से वातविकार तथा नसों, पीठ, कमर, कूल्हे व मांसपेशियों के दर्द आदि में लाभ होता है । माताएँ छाती पर यह तेल न लगायें, इससे दूध आना बंद हो जाता है ।

सिर व बालों की समस्याओं से बचने हेतु

सर्वांगासन ठीक ढंग से करते रहने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं, झड़ना बंद हो जाता है और बाल जल्दी सफेद नहीं होते, काले, चमकीले और सुंदर बन जाते हैं । आँवले का रस कभी-कभी बालों की जड़ों में लगाने से उनका झड़ना बंद हो जाता है । (सर्वांगासन की विधि आदि पढ़ें आश्रम से प्रकाशित पुस्तक ‘योगासन’ के पृष्ठ 15 पर ।)

युवावस्था से ही दोनों समय भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठकर दो-तीन मिनट तक लकड़ी की कंघी सिर में घुमाने से बाल जल्दी सफेद नहीं होते तथा वात और मस्तिष्क की पीड़ा संबंधी रोग नहीं होते । सिरदर्द दूर होकर मस्तिष्क बलवान बनता है । बालों का जल्दी गिरना, सिर की खुजली व गर्मी आदि रोग दूर होने में सहायता मिलती है । गोझरण अर्क में पानी मिलाकर बालों को मलने से वे मुलायम, पवित्र, रेशम जैसे हो जाते हैं । घरेलू उपाय सात्त्विक, सचोट और सस्ते हैं बाजारू चीजों से ।