Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

संधिशूलहर पाक

लाभ : उत्तम वायुनाशक व हड्डियों को मजबूत करनेवाली मेथी, दोषों का पाचन करनेवाली सोंठ व जठराग्नि को प्रदीप्त करनेवाले द्रव्यों से बना यह पाक जोड़ों के दर्द, गृध्रसी (सायटिका), गठिया, गर्दन का दर्द (सर्वायकल स्पोंडिलोसिस), कमरदर्द तथा वायु के कारण होनेवाली हाथ-पैरों की ऐंठन, सुन्नता, जकड़न आदि में अतीव गुणकारी है । सर्दियों में ४०-६० दिन तक इसका सेवन कर सकते हैं । बल व पुष्टि के लिए निरोगी व्यक्ति भी इसका लाभ ले सकते हैं । प्रसूता माताओं के लिए भी यह खूब लाभदायी है । इससे गर्भाशय की शुद्धि व दूध में वृद्धि होती है ।

सामग्री : मेथी का आटा व सोंठ का चूर्ण प्रत्येक ८० ग्राम, देशी घी १५० ग्राम, मिश्री ६५० ग्राम । प्रक्षेप द्रव्य - पीपर, सोंठ, पीपरामूल, चित्रक, जीरा, धनिया, अजवायन, कलौंजी, सौंफ, जायफल, दालचीनी, तेजपत्र एवं नागरमोथ प्रत्येक का चूर्ण १०-१० ग्राम व काली मिर्च का चूर्ण १५ ग्राम ।

विधि : मिश्री की एक तार की चाशनी बना लें । सोंठ को घी में धीमी आँच पर सेंक लें । जब उसका रंग सुनहरा लाल हो जाय, तब मेथी का आटा व चाशनी मिलाकर अच्छे से हिलायें । नीचे उतारकर प्रक्षेप द्रव्य मिला दें ।

सेवन-विधि : १५-२० ग्राम पाक सुबह गुनगुने पानी के साथ लें ।

सूचना : जोड़ों के दर्द में दही, टमाटर आदि खट्टे पदार्थ, आलू, राजमा, उड़द, मटर व तले हुए, पचने में भारी पदार्थ न खायें ।