Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

फलों द्वारा स्वास्थ्य-रक्षा - अंगूर

अंगूर

ये शीघ्र शक्ति व स्फूर्तिदायी, पाचन-संस्थान को सबल बनानेवाले, पित्तशामक व रक्तवर्धक हैं ।

(१) कुछ दिनों तक केवल अंगूर के रस पर ही रहने से पित्तजन्य अनेक रोग जैसे - जलन, अम्लपित्त, मुँह व आँतों के छाले (अल्सर), सिरदर्द तथा कब्ज दूर हो जाते हैं ।

निम्नलिखित प्रयोगों में रस की मात्रा : ५० से १०० मि.ली.

(२) अंगूर व सेवफल का समभाग रस अनिद्रा में लाभदायी है ।

(३) अंगूर व मोसम्बी का समभाग रस मासिक धर्म में असह्य पीड़ा, निम्न रक्तचाप, रक्त की अल्पता व दुर्बलता में लाभदायी है ।

अनार

यह हृदय के लिए बलदायी, मन को तृप्त व उल्लसित करनेवाला तथा पित्तजन्य रोगों में पथ्यकर है ।

रस की मात्रा : ५० से १०० मि.ली.

इसके अतिरिक्त इन दिनों में पुष्ट होनेवाले फल सिंघाड़ा, अनन्नास, सीताफल, सफेद पेठा आदि स्वास्थ्य-संवर्धनार्थ सेवनीय हैं ।

सावधानी : सूर्यास्त के बाद, भोजनोपरांत, कफजन्य विकार, त्वचारोग व सूजन में फलों का सेवन नहीं करना चाहिए ।