Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

त्रिफला-सेवन के अनेक लाभ

स्वास्थ्य एवं दीर्घायु प्रदायक एक बहुश्रुत औषधि है - त्रिफला चूर्ण । आँवला, बहेड़ा और हरड़ के सम्मिश्रण से बना यह चूर्ण त्रिदोषशामक, विशेषरूप से कफ-पित्तशामक, नेत्रों के लिए परम हितावह, जठराग्नि-प्रदीपक, भोजन में रुचि उत्पन्न करनेवाला, पेट साफ व घाव को ठीक करनेवाला, रक्त व त्वचा विकारों को दूर करनेवाला, हृदय-हितकर, उत्तम रसायन (tonic) और शरीर में किसी भी स्थान में संचित सूक्ष्म मल को साफ करनेवाला है ।

सेवन-वर्ष के अनुसार लाभ

अगर कोई व्यक्ति नियमितरूप से प्रातः बिना कुछ खाये-पिये ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन करता है तो अनेक लाभ होते हैं, इस बारे में कहावत है :

प्रथम वर्ष तन सुस्ती जाय ।

द्वितीय रोग सर्व मिट जाय ।।

तृतीय नैन बहु ज्योति समावे ।

चतुर्थे सुंदरताई आवे ।।

पंचम वर्ष बुद्धि अधिकाई ।

षष्ठम महाबली हो जाई ।।

श्वेत केश श्याम होय सप्तम ।

वृद्ध तन तरुण होई पुनि अष्टम ।।

दिन में तारे देखें सही ।1

नवम वर्ष फल अस्तुत कही ।।

दशम शारदा कंठ विराजे ।

अंधकार हिरदै का भाजे ।।2

जो एकादश द्वादश खाये ।

ताको वचन सिद्ध हो जाये ।।

त्रिफला-सेवन के बाद 2 से 2.5 घंटे तक कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए । शुरू में इसके सेवन से एक या दो पतले दस्त हो सकते हैं किंतु इससे घबरायें नहीं । वृद्ध तथा किसी रोग से ग्रस्त व्यक्ति सेवन की मात्रा वैद्यकीय सलाह-अनुसार निश्चित करें ।

त्रिफला रुक्ष होता है अतः लम्बे समय तक सेवन करने के लिए देशी गाय के घी अथवा काले तिल के तेल के साथ मिलाकर ऊपर से गर्म पानी पीना अधिक हितकारी होता है । (घीयुक्त त्रिफला रसायन विशेषकर अहमदाबाद, सूरत, करोलबाग-दिल्ली, गोरेगाँव-मुंबई आदि मुख्य आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से तथा रीहीराशीीेींश.लो द्वारा प्राप्त हो सकता है । विस्तृत जानकारी हेतु पढ़ें ऋषि प्रसाद’, जुलाई 2021, पृष्ठ 31)

त्रिफला सेवन-मात्रा : चूर्ण - 3 से 5 ग्राम अथवा गोलियाँ - 3 से 4

मास-अनुसार त्रिफला का अनुपान

मासों के अनुसार त्रिफला के साथ उसमें उसकी मात्रा के छठे भाग बराबर निम्नलिखित द्रव्यों को मिला के सेवन करने से उसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है ।

(1) श्रावण और भाद्रपद - सेंधा नमक

(2) आश्विन और कार्तिक - शर्करा (मिश्री या खाँड़ अर्थात् अपरिष्कृत शक्कर)

(3) मार्गशीर्ष और पौष - सोंठ चूर्ण

    (4) माघ तथा फाल्गुन - पीपर का चूर्ण

(5) चैत्र और वैशाख - शहद

(6) ज्येष्ठ तथा आषाढ़ - पुराना गुड़

इस प्रकार त्रिफला शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने में सहायक व प्रसादरूप है ।

(त्रिफला चूर्ण, त्रिफला टेबलेट, शहदयुक्त त्रिफला टेबलेट आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों से प्राप्त हो सकते हैं ।)

REF: ISSUE345-SEPTEMBER-2021