Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

क्या युवाधन की सुरक्षा करना गुनाह है ?

किसी भी देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर निर्भर होता है किंतु उचित मार्गदर्शन के अभाव में वह गुमराह हो जाती है । वर्तमान में युवाओं में फैशनपरस्ती, अशुद्ध आहार-विहार के सेवन की प्रवृत्ति, कुसंग, अभद्रता, चलचित्र-प्रेम आदि बढ़ रहे हैं । इनसे दिनोंदिन उनका पतन होता जा रहा है । आज विश्व के कई विकसित देशों में विद्यार्थियों को सही दिशा देने के लिए अरबों-खरबों डॉलर खर्च किये जाते हैं, फिर भी वहाँ के विद्यार्थियों में यौन-अपराध, यौन-रोग, आपराधिकता, हिंसा आदि बढ़ते ही जा रहे हैं । अमेरिका में किशोर-किशोरियों में यौन उच्छृंखलता के चलते प्रतिवर्ष लगभग 6 लाख किशोरियाँ गर्भवती हो जाती हैं । आँकड़े बताते हैं कि मात्र वर्ष 2013 में अमेरिका में 15 से 19 साल की किशोरियों ने 2,73,000 शिशुओं को जन्म दिया । किशोरावस्था में यौन-संबंधों से पैदा होनेवाली शारीरिक और सामाजिक समस्याएँ जीवन को अत्यंत कष्टप्रद बना देती हैं, यह बात किसीसे छुपी नहीं है ।

अंतर्राष्ट—ीय संस्था णछखउएऋ द्वारा प्रकाशित इन्नोसंटी रिपोर्ट कार्ड नम्बर 3 के अनुसार ‘अमेरिका के राजनैतिक और आम जनता के एक बड़े वर्ग का यह अभिप्राय बनता जा रहा है कि अविवाहित किशोरों के लिए यौन-संयम का संदेश ही यौन-शिक्षा के लिए देना उचित है । अमेरिका के स्कूलों में यौन-संयम की शिक्षा देने के लिए 1996 से 2001 के बीच सरकार ने 40 करोड़ से अधिक डॉलर केवल संयम की शिक्षा के अभियान में खर्च किये । अमेरिका के प्रत्येक 3 में से एक हाईस्कूल में इस अभियान के तहत यह शिक्षा दी जाती है ।’ यह कार्य भारत में पूज्य बापूजी जैसे दूरदर्शी संतों द्वारा ‘युवाधन सुरक्षा अभियान’ के रूप में सफलतापूर्वक व्यापक स्तर पर किया जा रहा है । उसमें अगर सरकार और मीडिया सहयोग न दे सकें तो कम-से-कम अवरोध पैदा न करें, इसीमें देश की भावी पीढ़ी का कल्याण है ।