प्रातः एवं सायं भ्रमण उत्तम स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभप्रद है । पशुओं का राजा सिंह सुबह 3.30 से 5 बजे के दौरान अपने बच्चों के साथ उठकर गुफा से बाहर निकल के साफ हवा में भ्रमण कर आसपास की किसी ऊँची टेकरी पर सूर्य की ओर मुँह करके बैठ जाता है । सूर्य का दर्शन कर शक्तिशाली कोमल किरणों को अपने शरीर में लेने के पश्चात् ही गुफा में वापस आता है । यह उसके बलशाली होेने का एक राज है ।
भ्रमण पूज्य बापूजी की दिनचर्या का एक अभिन्न अंग है । उत्तम स्वास्थ्य की इस कुंजी के द्वारा आप मानो चरैवेति चरैवेति । ‘आगे बढ़ो, आगे बढ़ो ।’ यह वैदिक संदेश ही जनसाधारण तक पहुँचाना चाहते हैं । पूज्यश्री कहते हैं : ‘‘प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में वातावरण में निसर्ग की शुद्ध एवं शक्तियुक्त ओजोन वायु का बाहुल्य होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।
प्रातःकाल की वायु को, सेवन करत सुजान ।
तातें मुख छबि बढ़त है, बुद्धि होत बलवान ।।
भ्रमण नियमित होना चाहिए । अधिक चलने से थकान आ जाती है । थकान से तमोगुण आ जाता है । सर्वथा न चलने से भी मनुष्य आलसी हो जाता है । उससे भी तमोगुण आ जाता है । अतः प्रतिदिन पैरों से थोड़ा अवश्यमेव चलना चाहिए ।