भारतीय संस्कृति व शास्त्रों के ज्ञान को लोग भूलते जा रहे हैं अतः आज चिंता, दुःख, परेशानी, अवसाद आदि बढ़ते जा रहे हैं । पूज्य बापूजी ने शास्त्रों का दोहन कर कई जीवनोपयोगी विधियों के ज्ञान से समाज को लाभान्वित किया है । इनमें क्षौर-कर्म भी आता है । पूज्यश्री कहते हैं : ‘‘हमारे शास्त्रों ने मुंडन कब कराना चाहिए, बाल कब कटवाने चाहिए वह भी खोज लिया है । रविवार को जो लोग मुंडन कराते हैं अथवा बाल कटवाते हैं, उनके धन, बुद्धि और धर्म की हानि होती है । रविवार आदि के दिन बाल कटवा तो लेते हैं, परवाह नहीं करते हैं लेकिन बेचारों के जीवन में उन ग्रहों का कुप्रभाव तो देखने में आता ही है।
सोमवार को अगर क्षौर-कर्म कराते हैं तो शिवभक्त की भक्ति की हानि होती है लेकिन शिवभक्त नहीं हैं तो सोमवार को मुंडन, बाल कटाने से कोई हानि नहीं है । पुत्रवान को भी इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए । मंगलवार को आयुष्य क्षीण होता है, बुधवार को धन-लाभ होता है । गुरुवार को करायें तो मान और लक्ष्मी अथवा धन-दौलत में बरकत क्षीण होने लगती है । अगर शुक्रवार को क्षौर-कर्म कराते हैं तो धन-लाभ व यश-लाभ बढ़ता है और शनिवार को कराते हैं तो आयुष्य क्षीण होता है, अकाल मृत्यु अथवा दुर्घटना का भय रहेगा ।’’