आत्मनिर्भरता की बतायी सुंदर युक्ति : करदर्शन
प्रातः उठकर करदर्शन करने का शास्त्रीय विधान बड़ा ही अर्थपूर्ण है । इससे मनुष्य के हृदय में आत्मनिर्भरता और स्वावलम्बन की भावना का उदय होता है । करदर्शन की सुंदर युक्ति बताते हुए पूज्य बापूजी कहते हैं : ‘‘ध्यान के बाद बिस्तर पर ही तनिक शांत बैठे रहकर फिर अपनी दोनों हथेलियों को देखें और यह श्लोक बोलें :
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ।।
‘हथेली के अग्रभाग में लक्ष्मी देवी का निवास है, मध्यभाग में सरस्वती देवी हैं और मूलभाग में भगवान गोविंद का वास है इसलिए प्रातःकाल में करदर्शन करना चाहिए ।’
इस प्रकार सुबह-सुबह में अपनी हथेलियों को देखकर भगवान नारायण का स्मरण करने से अपना भाग्य खुलता है ।
बिन पैसे की दवा
भगवान को प्रार्थना करके हाथों की दोनों हथेलियाँ आपस में रगड़ें और मन-ही-मन भावना करें : ‘ॐ ॐ ॐ मेरी आरोग्य शक्ति जग रही है ।’ फिर जहाँ भी शरीर में तकलीफ हो, वहाँ हथेलियाँ लगाने से आरोग्य शक्ति की सूक्ष्म तरंगें उसे मिटाने में बड़ी मदद करती हैं । जिसको हथेलियों को रगड़ते हुए ‘ॐ ॐ ॐ...’ करके हाथ मुँह पर घुमाने की युक्ति आ गयी, उसका चेहरा प्रभावशाली हो जाता है । आँखों पर दोनों हथेलियों को रखकर संकल्प करते हैं कि ‘ॐ ॐ ॐ मेरी नेत्रज्योति बढ़ रही है’ तो आँखों की रोशनी बरकरार रहती है, बढ़ती है । माथे पर घुमायें, जहाँ चोटी रखते हैं वहाँ घुमायें और चिंतन करें कि ‘ॐ ॐ ॐ मेरी स्मृतिशक्ति, निर्णयशक्ति का विकास हो रहा है ।’ तो इनका विकास होता है । मानसिक तनाव दूर होता है । मानसिक तनाव का मुख्य कारण है मलिन चित्तवृत्तियाँ । भगवान का नाम जपने से मलिन चित्तवृत्तियाँ भाग जाती हैं । घृणा, ईर्ष्या, मोह, लोभ, काम, अहंकार, चुगली, लिप्सा (कामना), परिग्रह (संग्रह) - इनसे तनाव होता है और ॐकार का उच्चारण करने से ये सारे तनाव भाग जाते हैं तथा सारी बीमारियों की जड़ें उखड़ जाती हैं ।
लगता तो साधारण प्रयोग है लेकिन इतने सारे फायदे होते हैं कि डॉक्टरों की पकड़ में नहीं आते Ÿहैं । इससे मन की मलिनता भी दूर हो जाती है, अंतर्यामी प्रसन्न होते हैं और दिव्य शक्तियों का संचार होता है । (‘हस्त चिकित्सा’ की विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें आश्रम की पुस्तक आरोग्यनिधि, भाग-1, पृष्ठ 177)