Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

प्रातः जागरण को साधनामय बनाना सिखाया - 5

सुबह उठकर दो बातों को याद करो

सुबह उठो तब सबसे पहले परमात्मा को और मौत को याद कर लो : ‘क्या पता कौन-से दिन इस जहाँ से चले जायें ! आज सोमवार है, क्या पता कौन-से सोमवार को हम चले जायें ! आज मंगलवार है, क्या पता कौन-से मंगलवार को हम विदा हो जायें !... इन सात दिनों में से कोई-न-कोई दिन होगा मौत का ।’

ऐसा चिंतन करें

सुबह उठकर भी यदि सोचते हैं कि ‘मैं दुःखी हूँ... मेरा कोई नहीं.... मैं लाचार हूँ...’ तो पूरा दिन परेशानी और दुःख में बीतेगा । सुबह उठकर यदि आप यह सोचें कि ‘दुःख तो बेवकूफी का फल है । चाहे कुछ भी हो जाय, मैं आज दुःखी होनेवाला नहीं । मेरा रब, प्रभु मेरे साथ है । मनुष्य-जन्म पाकर भी दुःखी और चिंतित रहना बड़ी शर्म की बात है । दुःखी और चिंतित तो वे रहें जिनका आत्मा-परमात्मा मर गया । मेरा आत्मा-परमात्मा तो ऐ रब ! तू मौजूद है न ! प्रभु तेरी जय हो !... आज तो मैं मौज में रहूँगा ।’ तो फिर देखो, आपका दिन कैसा गुजरता है ।

आपका मन कल्पवृक्ष है । आप जैसा दृढ़ चिंतन करते हैं, वैसा होने लगता है । हाँ, दृढ़ चिंतन में आपकी सच्चाई होनी चाहिए ।

ऐसा पक्का निर्णय करें

रोज सुबह उठो तब पक्का निर्णय करो कि ‘आज अपने चित्त को प्रसन्न रखूँगा । दो-चार मनुष्यों के आँसू पोंछूँगा, उनके दुःख दूर करने का प्रयत्न करूँगा और चार मनुष्यों को हँसाऊँगा ।’ फिर पता चलेगा कि बिना स्वार्थ के कर्म करने में कितना आनंद आता है । फिर तो तुम्हारा व्यवहार ही साधना बन जायेगा । नियम से प्रतिदिन प्राणायाम-जप-ध्यान करोगे तो तुम्हारा हृदय खिलेगा ।

विद्यार्थी ऐसा संकल्प करें

सुबह उठकर संकल्प करो : ‘आज के दिन मैं समय का सदुपयोग करूँगा । खेलने के समय मन लगाकर खेलूँगा, पढ़ने के समय मन लगाकर पढ़ूँगा, काम करने के समय दिल लगाकर काम करूँगा और दिल लगाकर दाता (भगवान) का सुमिरन व ध्यान करूँगा ।’