Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

प्रातः जागरण को साधनामय बनाना सिखाया - 2

ब्रह्ममुहूर्त में उठने का सरल उपाय

बिना किसीकी सहायता के प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाने के लिए एक छोटी-सी युक्ति पूज्य बापूजी बताते हैं : ‘‘अलार्म घंटी बजा सकता है, पत्नी कम्बल हटा सकती है लेकिन नींद से तुम्हें जगाने का काम तो तुम्हारे सच्चिदानंद परमात्मा ही करते हैं । अतः तुम रात्रि में सोते समय उन्हींकी स्मृति में जाओ । उनमें प्रेमभाव होना चाहिए । उन्हींसे प्रार्थना करो, दृढ़ संकल्प करो ।

यदि सुबह आपकी नींद नहीं खुलती है अथवा अपने-आप नहीं उठ सकते हैं तो रात को सोते समय अपनी परछाईं को 3 बार बोल दो कि ‘मुझे 3 से 5 बजे के बीच प्राणायाम करने हैं, तुम मुझे 4 बजे जगा देना ।’ है तो तुम्हारी छाया लेकिन ऐसा कहोगे तो नींद खुल जायेगी । फिर उस समय आलस्य नहीं करना । अपने कहे अनुसार छाया ने कर दिया तो उसका फायदा उठाओ ।

यदि आपने इस युक्ति का आश्रय लिया और आलस्य का त्याग किया तो फिर कुछ दिनों में आप बिना किसीकी सहायता के स्वयं उठने लगोगे ।’’   

नींद खुलते ही तुरंत मत उठो

प्रातः जागरण जैसा होता है, वैसा पूरा दिन गुजरता है । जागरण के समय को भगवन्मय बना लिया तो पूरा दिन आनंदमय बन जायेगा । शरीर को स्वस्थ, मन को प्रसन्न तथा जीवन को रसमय, आनंदमय बनाकर परमात्मप्राप्ति की सुंदर युक्ति पूज्य बापूजी ने बतायी है : ‘‘नींद पूरी होती है, उस समय विश्रांति में होते हैं, स्फुरण नहीं होता । फिर धीरे से रसमय स्फुरण होता है, प्रगाढ़ स्फुरण होता है, फिर संकल्प होता है और संसार की दौड़-धूप में हम लगते हैं । अतः सुबह नींद में से चटाक्-से मत उठो, पटाक्-से घड़ी मत देखो । नींद खुल गयी, आँख न खुले, आँख खुल जाय तो तुरंत बंद कर दो, थोड़ी देर पड़े रहो । फिर जहाँ से हमारी मनःवृत्ति स्फुरित होती है, उस चैतन्यस्वरूप परमात्मा में, उस निःसंकल्प स्थिति में शांत हो जाओ । एक से दो मिनट कोई संकल्प नहीं । फिर जैसे बच्चा माँ की गोद से उठता है, कैसा शांत ! ऐसे हम परमात्मा की गोद से बाहर आयें : ‘ॐ शांति... प्रभु की गोद से मैं बाहर आ रहा हूँ । मेरा मन बाहर आये उससे पहले मैं फिर से मनसहित प्रभु के शांतस्वरूप, आनंदस्वरूप में जा रहा हूँ, ॐ शांति, ॐ आनंद...’ ऐसा मन से दोहराओ । आपका हृदय बहुत पवित्र होगा ।