तुम्हारा ‘आसोज सुद दो दिवस’ कब होगा ?

 

पूज्य बापूजी का आत्मसाक्षात्कार दिवस : २७ सितम्बर 2022

जितना हो सके आप लोग मौन का सहारा लेना | बोलना पड़े तो बहुत धीरे बोलना और बार-बार अपने मन को समझाना, ‘तेरा असोज सुद दो दिवस (आत्मसाक्षात्कार-दिवस ) कब होगा ?’ ऐसा क्षण कब आएगा कि जिस क्षण तू परमात्मा में खो जायेगा ? ऐसी घड़ियाँ कब आएँगी कि तू सर्वव्यापक, सच्चिदानंद परमात्मस्वरुप हो जायेगा ?

ऐसी घड़ियाँ कब आएँगी कि जब नि:संकल्प अवस्था को प्राप्त हो जायेंगे ? योगी योग करते हैं और धारणा रखते हैं दिव्य शरीर को पाने की लेकिन वह दिव्या शरीर भी प्रकृति का होता है, अंत में नाश हो जाता है | मुझे न दिव्य शरीर पाना है, न दिव्य भोग भोगने है, न दिव्य लोकों में जाना है, न दिव्य-देह ही पाकर विलास करना है |

मैं तो सत्-चित्-आनंदस्वरूप हूँ, मेरा मुझको नमस्कार है ऐसा मुझे कब अनुभव होगा ? जो सबके भीतर है, सबके पास है, सबका आधार है, सबका प्यारा है, सबसे न्यारा है, ऐसे सच्चिदानंद परमात्मा में मेरा मन विश्रांत कब होगा ?” –ऐसा सोचते-सोचते मन को विश्रांति की तरफ ले जाना | ज्यों-ज्यों मन विश्रांति को उपलब्ध होगा त्यों-त्यों तुम्हारा बेड़ा पर हो ही जायेगा, तुम्हारा दर्शन करने वाले का भी बेड़ा पर होने लगेगा |

साक्षात्कार का अर्थ है कि जो सत्-चित्-आनंदस्वरूप परमात्मा है, उसमें मन को भलीभाँति तदाकार हो जाना | जैसे तरंग समुद्र से तदाकार हो जाती है, ऐसे ही ब्रह्मवेत्ता ब्रह्मविद् हो जाता   है | उसकी वाणी वेदवाणी हो जाती है | लौकिक भाषा हो या संस्कृत, भ्रम-भेद मिटाकर अभेद आत्मा में जगा देती है |

साक्षात्कार कैसा होता है इसके बारे में कितना भी प्रयत्न किया जाये, उसका पूर्ण वर्णन नहीं हो सकता है | अन्य साधनाओं का फल लोक-लोकांतर में जाकर कुछ पाने का होता है लेकिन आत्मसाक्षात्कारके बाद कहीं जाकर कुछ पाना नहीं रहता | कुछ पाना भी नहीं रहता, कुछ खोना भी नहीं रहता | धर्मात्मा यदि अधर्म करेगा तो उसका पुण्य नष्ट हो जायेगा | योगी यदि दुराचार करेगा तो उसका योगबल नष्ट हो जायेगा |

भक्त यदि भगवान की भक्ति छोड़ देगा तो अभक्त हो जायेगा | साक्षात्कार का मतलब एक बार साक्षात्कार हो जाय, फिर वह तीनों लोकों को मार डाले फिर भी उसको पाप नहीं लगता और तीनो लोकों को भंडारा करके भोजन कराये तो भी उसको पुण्य नहीं होता | क्योंकि वह एक ऐसी जगह, ऐसी ऊँचाई पर पहुंचा है कि वहाँ पुण्य नहीं पहुँचता, पाप भी नहीं पहुँचता |

अखा भगत कहते हैं :

राज्य करे रमणी रमे, के ओढ़े मृगछाल |

जो करे सब सहज में, सो साहेब को लाल ||

यह आत्मज्ञान भगवन श्रीकृष्ण अर्जुन को सुनते हैं : त्रैगुण्यविषया वेदा... वेदों का ज्ञान, वेदों की उपलब्धियाँ भी तीन गुणों के अंतर्गत है |’ निश्त्रैगुण्यो भवार्जुन | ‘अर्जुन! तू तीनों गुणों से पर चला जा |’ 

लोक कल्याण सेतु अंक नं. 311 से...