सर्व रोगों से रक्षा करनेवाली गिलोय के फायदे जानकर हैरान रह जायेंगे आप

गिलोय, गुडुच या गुरूच अमृततुल्य गुणकारी रसायन,दिव्य औषधि होने के कारण अमृता कहलाती है । यह सर्व रोगों  से रक्षा करनेवाली है ।  इसका ताजा रस विशेष लाभदायी होता है ।

गिलोय का प्रयोग क्षय, प्रमेह, त्वचाविकार, ज्वर, पांडु व लीवर के रोगों में विशेष लाभदायी है । गिलोय का चूर्ण शहद के साथ लेने से ह्रदयरोगियों को फायदा होता है ।

घी (10 से 15 ग्राम अथार्त एक चम्मच) मिलाकर लेने से वायु शमन होता है । शक्कर (10 ग्राम) के साथ प्रयोग करने से पित्त का तथा शहद (10 से 15 ग्राम) के साथ प्रयोग करने से कफ का शमन  होता है ।

गिलोय के उपयोग :

*गिलोय के रस पीने से मलेरिया तथा पुराना बुखार दूर होता है  

*चुटकी भर दालचीनी व लौंग के साथ लेने से मुद्दती बुखार दूर होता है ।

*बुखार के बाद रहने रहनेवाली कमजोरी में गिलोय का रस पौष्टिक एवं शक्तिप्रदायक है ।

*2 से 3 ग्राम अधकुटी सोंठ व 25 से 30 ग्राम कूटी हुई ताजी गिलोय का काढ़ा बनाकर पीने से संधिवात तथा आमवात दूर हता है ।

*गिलोय के रस में मिश्री मिलाकर पिने से पीलिया में लाभ होता है ।

*गिलोय का रस दीर्घकाल तक लेते रहने से कायमी कब्जी के रोगी को लाभ होता है ।

*गिलोय के चूर्ण अथवा रस का नियमित उपयोग डायबिटीज़वालों के लिए लाभदायी है । हररोज इंजेक्शन तथा टिकियों कि आवश्यकता नहीं पड़ेगी । उनके कुप्रभावों से रोगी बच जायेगा ।

*माता को गिलोय का चूर्ण अथवा रस देने से दूध बढ़ता है व दूध के दोष दूर होते है । माता के दूषित दूध के कारण होनेवाले रोगों से बालक कि रक्षा होती है ।

*गिलोय उत्कृष्ट मेध्य अर्थात बुद्धिवर्धक रसायन है । इसके नियमित सेवन से दीर्घायुष्य, चिरयौवन व कुशाग्र बुद्धि कि प्राप्ति होती है ।

*सिद्ध योगी गोरखनाथजी कहते है : कुंडलिनी जागरण के समय शरीर में गर्मी महसूस हो तो गिलोय के रस में शहद ठीक प्रकार से मिश्रित करके तृप्तिपूर्वक लिया जाय तो मणिपुर चक्र, नाभि चक्र का शोधन सरलता से हो जाता है।

चूर्ण की मात्रा : 2 से 3 ग्राम ।     रस की मात्रा : 20 से 30 मि.लि. ।

लोक कल्याण सेतु नवम्बर से दिसम्बर 2007, अंक नंबर 125