रुपये-पैसे में बरकत चाहिए तो...
सुख-शांति, आनंद चाहिए तो ‘भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय का ३६वाँ श्लोक अर्थसहित लाल स्याही से लिखकर घर में टाँग दो ।
स्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्त्या जगत्प्रहृष्यत्यनुरज्यते च ।
रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति सर्वे नमस्यन्ति च सिद्धसंघाः ।।
‘हे अंतर्यामिन् ! यह योग्य ही है कि आपके नाम, गुण और प्रभाव के कीर्तन से जगत अति हर्षित हो रहा है और अनुराग को भी प्राप्त हो रहा है तथा भयभीत राक्षस लोग दिशाओं में भाग रहे हैं और सब सिद्धगणों के समुदाय नमस्कार कर रहे हैं ।
रुपये-पैसे में बरकत चाहिए तो इस श्लोक का पाठ करो और ‘लक्ष्मीनारायण, नारायण, नारायण... का मानसिक जप करो ।
लोक कल्याण सेतु, सितम्बर 2015, अंक नंबर 219 से...